बातों बातों मैं जिक्र आया था,
कहते कहते दिल भर आया था,
लगता था एक अफ़साना सुना रहे हैं हम,
छोटी सी उस इच्छा का मतलब बता रहे हैं हम...
हाथ बढाकर छूकर देखी,
बातों बातों मैं खुशबू थी,
थोडी ठंडी थोडी मीठी,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
पीले रंगों मैं लिपटी वो,
आंखों मैं कुछ रहती ऐसे,
प्यार मुझे हुआ था जिससे,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
कहते कहते भर गई आँखें,
सहते सहते मैं मुस्काया,
उस कोने से मुझे बुलाती,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
मन ही मन मैं बातें करना,
दूर सही पर साथ ही रहना,
बंद आंखों से तुम्हे देखना,
शायद वोह मेरी इच्छा थी,
कुछ कह कर फिर हंस जाना,
बीच मैं रूककर थोड़ा सा रोना,
हँसते हँसते निकले आंसू,
शायद वो मेरी इच्छा थी....
Thursday, August 28, 2008
Friday, August 22, 2008
:-)
मेरे साथ रहकर तुम इतराती बहुत हो,
बीच बीच मैं कुछ सोचकर मुस्कुराती बहुत हो,
काटती हो अपने ही होठों को कुछ कहकर,
इंतज़ार मैं मेरे जवाब के तुम झल्लाती बहुत हो...
अक्सर फूलों को तोड़ने मैं काटें चुभ जाते हैं, उसे फूलों से खेलने का शौक था। लहराने का, मचलने का और मेरे साथ रहकर इतराने का शौक था। रोंती बहुत थी वो जैसे कभी हंस न पाएगी फिर, पर मेरे पास आकर उसे मुस्कुराने का शौक था। खाना जैसे मेज़ पर रखा गुलदस्ता था उसके लिए, उसे मेरे हाथ से खाने का शौक था। रोटी मुंह मैं रख कर बहुत देर सोचती थी वो, मुझे याद करने का उससे शौक था। नींद मैं भी अगर हाथ छुट जाए तो जाग जाती थी वो और सपनो मैं ना जाने कहाँ घूम आती थी वो, उसे मेरे साथ घूमने का शौक था.बोलना भी भूल जाती थी वो, और सोचते सोचते अक्सर मेरे पास सो जाती थी वो, उसे शायद मेरे पास रहने का शौक था।
बीच बीच मैं कुछ सोचकर मुस्कुराती बहुत हो,
काटती हो अपने ही होठों को कुछ कहकर,
इंतज़ार मैं मेरे जवाब के तुम झल्लाती बहुत हो...
अक्सर फूलों को तोड़ने मैं काटें चुभ जाते हैं, उसे फूलों से खेलने का शौक था। लहराने का, मचलने का और मेरे साथ रहकर इतराने का शौक था। रोंती बहुत थी वो जैसे कभी हंस न पाएगी फिर, पर मेरे पास आकर उसे मुस्कुराने का शौक था। खाना जैसे मेज़ पर रखा गुलदस्ता था उसके लिए, उसे मेरे हाथ से खाने का शौक था। रोटी मुंह मैं रख कर बहुत देर सोचती थी वो, मुझे याद करने का उससे शौक था। नींद मैं भी अगर हाथ छुट जाए तो जाग जाती थी वो और सपनो मैं ना जाने कहाँ घूम आती थी वो, उसे मेरे साथ घूमने का शौक था.बोलना भी भूल जाती थी वो, और सोचते सोचते अक्सर मेरे पास सो जाती थी वो, उसे शायद मेरे पास रहने का शौक था।
Labels:
Confusion,
Day Dreaming,
Hindi Poems
Subscribe to:
Posts (Atom)