बातों बातों मैं जिक्र आया था,
कहते कहते दिल भर आया था,
लगता था एक अफ़साना सुना रहे हैं हम,
छोटी सी उस इच्छा का मतलब बता रहे हैं हम...
हाथ बढाकर छूकर देखी,
बातों बातों मैं खुशबू थी,
थोडी ठंडी थोडी मीठी,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
पीले रंगों मैं लिपटी वो,
आंखों मैं कुछ रहती ऐसे,
प्यार मुझे हुआ था जिससे,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
कहते कहते भर गई आँखें,
सहते सहते मैं मुस्काया,
उस कोने से मुझे बुलाती,
शायद वो मेरी इच्छा थी,
मन ही मन मैं बातें करना,
दूर सही पर साथ ही रहना,
बंद आंखों से तुम्हे देखना,
शायद वोह मेरी इच्छा थी,
कुछ कह कर फिर हंस जाना,
बीच मैं रूककर थोड़ा सा रोना,
हँसते हँसते निकले आंसू,
शायद वो मेरी इच्छा थी....
1 comment:
Ye bhi very good hai ji
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