Friday, April 3, 2009

पहरा

दिल के
इन ख़यालों पे,
पहरा
हम लगा देंगे,
नींद
तू मत आना,
की अभी
रात
बाकी है,
सपनो में,
बग़ावत की
एक उम्मीद
बाकी है,
मैं सो जाऊं
और
मन
लुट जाए,
ये भी तो,
जायज़ नहीं,
सुबह सुबह
मैं कहीं
खो जाऊं
ये भी तो
जायज़ नहीं.........

1 comment:

rashmi said...

Bahut badiya hai.
Ye word thoda chota pad raha hai.
Par Bahut bahut bahut achhi hai.
WAW!!!!!!!!!1