Thursday, September 3, 2009

.....

अब आज जो निकले हैं, दम भर के निकले हैं,
मेरे अरमान थोड़े नम से निकले हैं,
बाँटते थे यह नमी हम हर सुबह की शबनम से,
मौसम जो बदला तो बारिशो में नहा कर निकले हैं......

1 comment:

gary said...

boss yeh suna suna sa lag raha hai .. i mean pehla do line ...
iska prasang vyakhya/samvad bhi likh de bhai ...