Thursday, July 17, 2008

रोशनी

जिंदगी क्या किसी मोड़ पे जा के ख़तम हो जायेगी या यह मोड़ कहीं अंधेरे मैं गुम हो जायेंगे. अगर मेरी जिंदगी का अंत एक अंधेरे का गुबार है तो क्यों मुझमे कुछ पाने का लालच है, क्योंकि मैं इस अंधेरे के पहले ही रौशनी मैं गुम हो जाना चाहता हूँ और इस रोशनी के पीछे मैं मरते दम तक भागूंगा. सब यही करते हैं और मैं भी इस्सी कोशिश मैं एक दिन अँधेरा बन जाऊँगा…

Vikas

P.S. - This is first note i have ever written for myself.


3 comments:

rashmi said...

Waw!!!!!!!!!!!
Touching tha.
Nice start again.

Unknown said...

awesome buddy!!!
keep rolling....

Unknown said...

sub roshni ki talash me hai bhai tuje mil jaye so work hard for that